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मुनादी (नौटंकी )
” दुर्भाग्य पुरूस्कार ”
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गतांक से आगे -३
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नट- नटी सुनो देखो दरवाजे खिड़कियाँ ठीक से बंद नही की ? बहुत सीलन भरी बदबू आ रही है। और ये ट्रकों का शोर , मुख्य रास्ता बंद हो गया कहीं ?
नटी – आप भी कमाल करते हो , सदियां बीत गयीं। घर की बात छोडिये एक टूटी फूटी झोपडी भी नसीब में न आयी। हमी जैसे गरीब , असहाय लोगों की दशा पर लिख रचनाएं बनवायीं। बेहतर न होता जों बनाते हमारे लिए मकाँ, आज जन्नत में होता इनका जहाँ।
नट- ये सीले पटाखें है , दिवाली में भी न बिकेंगे , जहाँ रखे जायेंगे बदबू ही करेंगे।
नटी – सुनो एक जोर दार खबर आ रही है , कहते मगर जुबाँ थर्रा रही है। हंटर के निशाँ पीठ से अभी गए नही हैं , देखो इसकी दूसरी खेप आ रही है।
नट- भाग्य में हमारे दर्द ही लिखा है , मगर दिल है साफ़ सीना सफा है। कहना तुम्हें जों कहो बे खौफ । कुत्ते नही जों मर जाएँ बे मौत। अमन के सिपाही हैं , गाते हैं गीत , नफरत नही दिल में हरेक से करते प्रीत।
नटी – पुरस्कार देने के लिए नयी सूची और नीति बन रही ताकि आगे अपात्र लोगों को सम्मान न मिले , जैसे चर्चा में है और ये संगठन तेजी से माँग करना शुरू कर दिये हैं।
१- विद्यालय , जिनका अस्तित्व है पर छात्र नही है।
२- विद्यालय , अस्तित्व नही , पर छात्र है।
३- विद्यालय , शिक्षक नही , पर छात्र है।
४- विद्यालय , छात्र नही , पर शिक्षक है।
५- योजना के अनुसार शाकाहारी छात्र जों अशाकाहरी हो गए। कीड़े युक्त भोजन की आपूर्ती पर।
६- ऐसे छात्र जों दूषित भोजन से शहीद होने से बच गए।
७- वो शिक्षक बगैर स्कूल जाए वेतन लेते हैं।
८- चिकित्सक – वेतन सरकार से , खुशियाँ घर बार से। निजी प्रैक्टिस द्वारा।
९- अमानक दवाएं , मशीन क्रय करने में दक्ष हों ,
१०- अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं को दर किनार करते हुए बाहर से ही दवा और जाँच लिखने हेतु दक्ष हों।
११- शाशन को धता बताते हुए निजी अस्पताल में शल्य क्रिया ही कर सकते हो, सरकारी अस्पताल में उन्हें रतौंधी और दिनौन्धी रोग हो जाता हो।
कहाँ तक गिनाऊं १२५ करोड के कातिलों की सूची – मास्टर , डाक्टर , इंजीनियर , ठेकेदार , मठाधीश , नेता , अभिनेता , हम और तुम ?
नट- हमको और तुमको किसी युग में नही मिला , जब कि नियमित रूप से बे खौफ समाज को जागृत करते रहे। अब सूची में नाम कैसे आ गया। कोई जुगाड लगा लिया।
नटी – पुरुस्कार लौटाने वालों को मिलेगा अब अंतर राष्ट्रीय पुरुस्कार , क्योंकि लगा रहे है विश्व फलक पर पुकार , भारत माता को कर दर किनार। यहाँ हो रहा अत्याचार ?
नट- और हमें कौन सा पुरूस्कार मिलेगा मेरी प्यारी नटी ?
नटी – सदियों से प्रति दिन मिलने वाला ” दुर्भाग्य पुरूस्कार ” , देखो वे देने भी आ गए , सभी पक्षों के पंजी कृत गुंडे और उनके सलाहकार। उठाओ डेरा डंडा , झेलो पीठ पर वार , किस से करें अब गुहार , चलें पोरबंदर।
क्रमशः —–
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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