Menu
blogid : 7694 postid : 1131021

आखेट -पुरस्कार

kushwaha
kushwaha
  • 162 Posts
  • 3241 Comments

” आखेट -पुरस्कार ”
——————
गतांक से आगे -४
——————–

नटी – सुनो नट महाराज -बड़ा गजब हो गया , एक आदमी – षड्यंत्र का शिकार हो गया ।
त्यागने वालों के साथ इधर खड़ा था , पाला बदल कर अब उधर हो गया।
नट – ( अच्छा ! वह् आदमी था – मैं तों समझा -लेखक था ) ।
दोनों पक्ष बने बराती , कहते हम तों सुख – दुःख के साथी।
मित्र तुम्हें यह सुख दिलवा रहे हैं, देखो सुर मुनि नारद यश गा रहे हैं।
वायदे अनुसार चुप चाप करना वापस ,यह मत कहना कि हम छिनवा रहे हैं।

नटी- लोंक तन्त्र में देखो न नीत , जों सुर सजे गाओ उसी में गीत।
नट – कथा क्रम को मिला विस्तार , एक साथी पाया सत्कार ।
नटी – पुरस्कार वापसी का चल रहा दौर , , खड़े साथी घेरे चहुँ ओर.।
नट- पक्ष विपक्ष अब खड़े दोनों हैं साथ ,मीडिया आतुर कब शुरू हो जूता लात।
नटी-सुनो मीडिया थोडा करो इन्तजार , बड़ी मुश्किल से मिला पुरूस्कार ?
नट- टाइम्स में पहले ये छप तों जाएँ , मिले न जब ओहदा तब चिल्लाएं।
नटी- इसको वापस तत्काल करेंगे , या ड्राइंग रूम में इसे धरेंगे।
नट- पहले सामानित तों हो लें , फिर अपमानित भी हो लेंगे।
-नट- नुक्कड़ – नुक्कड़ दावत तों ले लें , जूता लात थप्पड़ भी तों सह लें।
नटी- साथी तों फूले ले ले कर दावत , ये क्यों झूलें क्यों करें अदावत।
नट- बासी कढ़ी में जब आएगा उबाल, तब इसको कहेंगे बड़ा बवाल।
नटी- अभी तों हैं साधू , बने बड़े फकीर , देखो कब जागे इनका जमीर।
नट – देश में जरूरत नही जमीर की , ना ही जरूररत संत फकीर की।
नटी – जिसकी लाठी होती उसकी भैंस, प्रखर बुद्धी से हैं सब लैस.।
नट- कहते साम्प्रदायिक ,होती गाय ,भैंस धर्म निरपेक्ष होती भाय ।
नटी -तालाब में भैंस कब बैठ जाय अन्दर ,चलो भाग चलें , पहुँचे पोर बंदर।

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply