kushwaha
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खेती – किसानी -दोहे/*प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //
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मौसम फसल खरीफ का पानी की दरकार
खेतों में पानी नही सोती है सरकार
खेती खुद करना भली जानत है सब कोय
बटाई में जबहि दिये फल मीठा नहि होय
फसल समय से बोइये ध्यान से सुने बात
बढ़िया फसल होय सदा सुखी रहो दिन रात
खाद संतुलित डालिये मिट्टी जाँच कराय
बंजर भूमि नही बने इसका यही उपाय
खेत सुरक्षित रहे सदा चिंता करें न तात
जैव खाद डालें वहाँ मानो मेरी बात
आँख मिचौली अब करे बिजली की है बात
खेती किसानी कब करे जागत बीते रात
जमा खोरी बंद करें घटने दें अब दाम
पेड़ों को गिनिये नही जम के खायें आम
लगायें मिल पौध सभी जामुन हो या आम
रक्षा न होवे जब तलक मिलिहे नाही दाम
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मौलिक /अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
२५-०७-२०१४
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