kushwaha
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दोहे/* प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //
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गुणीजनों की शान में, हाज़िर दोहे पाँच
मिले ज्ञान जो छंद का, कभी न आए आँच
करें ब्रह्म का ध्यान हम, पीटें नहीं लकीर
भेदभाव सब छोड़ दें, रंग-जाति तकदीर
सबसे पहले हम जगें, जागे फिर संसार
करें कर्म अपने सभी, सुमिरें पवन कुमार
मज़ा सवाया और है, मज़ा अढ़ाई और
मज़ा मिले तब आम का, घने लगे जब बौर
कन्या पूजन वे करें, राखें उनकी लाज
होती अम्बे की कृपा, बनते सारे काज
वाणी कबिरा की भली, प्रेम राह जग जोत
ग्रंथ किनारे धर भजे, ज्ञानवान वह होत
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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