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सांप नाथ -नाग नाथ उवाच/*कुशवाहा //

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kushwaha
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सांप नाथ -नाग नाथ उवाच

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सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

बिजली आती है

हाँ जी आती है

कैसे आती है

खून बहे रक्त नली में

तारे टिमके जैसे जमी पर

प्रेमियों को भाती है

बिजली आती है

हाँ जी आती है

सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

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न आये तो क्या हो  करते

रात गुजर  कैसे  करते

जनता त्राहि त्राहि करती

खेती किसानी करते डरती

हमको  भी तो बतलाओ

झूठ है या सच है बाती

बिजली आती है

हाँ जी आती है

सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

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अपराधियों को खूब फब्ती

गली सडक चौराहे पर

मोमबत्तियां  हैं जलती

राष्ट्र हित में उर्जा  बचती

देता सब कोई  बधाई

सुन लो अब मेरे भाई

बिजली आती है

हाँ जी आती है

सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

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इतनी महंगी है क्यों फिर

लोड टैरिफ लगे  है सिर

कम्पनी घाटे में दिखती

रात अँधेरे में  कटती

कैसी है बेशर्मायी

मिल काटते नित मलाई

बिजली आती है

हाँ जी आती है

सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

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बिजली का बिल वे न भरते

कटिया  कनेक्शन घर सजते

कसो आन्दोलन करते

बिल तुम्हारा भी तो बाक़ी

स्टाफ संग क्या सगाई

बिजली मंत्री हूँ भाई

बिजली आती है

हाँ जी आती है

सुनो सांप नाथ जी

कहो  नागनाथ जी

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

४-५-२०१३

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