kushwaha
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सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ
हम सब हो कर इकट्ठे बीच मैदान में जाते हैं
प्रार्थना के पश्चात वे हमको खेल खिलवाते हैं
गुरू हमारे बड़े प्यारे प्रेम से हमें पढाते हैं
उज्जवल भविष्य कैसे बने नीति हमें बतलाते हैं
रहते हम सभी घुले मिले ज्यों डाली में लगते फूल
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