Menu
blogid : 7694 postid : 376

क्रांति

kushwaha
kushwaha
  • 162 Posts
  • 3241 Comments

क्रांति

——-

चिंता छोड़ो सुख से जियो

पुस्तक हम भी ले आये

विश्वास रहा न उनके ऊपर

वोट थे जिनको दे आये

पढ़ा लगा मन उसे प्रतिदिन

चिंता दूर न हो पायी

गयी बेटी सवेरे पढने

जब तक वापस घर न आयी

कहाँ देखें कहाँ न देखें

हर पल लगा रहे  अंदेशा

न जाने  कहाँ  मिल जाएँ

राक्षस  बदले हुये वेषा

लाख उपाय कर के  देखे

नित बदल बदल कर कानून

धरना प्रदर्शन आन्दोलन

रोक सका  न बहता खून

सोच आपकी गलत नही
सोच कर सोच को देखो

जरूरी हुई  नैतिक शिक्षा

मन आवेगों को रोको

सूरज तपना छोड़े न
मयूर न छोड़ता  नर्तन
सैनिक बजाता  बांसुरी
कवि करता अब कीर्तन
बदलेगा समाज कैसे
कैसे शांति अब  आएगी
रामायण गीता भूले सब
सोचो कैसे क्रांति आयेगी

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

२२-४-२०१३

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply