kushwaha
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नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
खुद को शोषित मान ले
फिर कौन करे सम्मान
दूषित जग से लड़ना होगा
खुद ही आगे बढ़ना होगा.
रूप धार कर रण चंडी का
अधिकार छीन लेना होगा
जगा आत्म अभिमान
नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
क्या क्या नही तुझे सब कहते
कैसी कैसी फब्ती कसते
तुझे मूढ़ अज्ञानी कहते
दुर्गुण आठ सदा उर रहते
सब मिल करते बदनाम
नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
पोखर सी ख़ामोशी क्यों
सागर सी तू रह मौन
कर बुलंद अपने को तू
आकाश झुके पूछे तू कौन
जग के इन झंझावातों में
तुझको स्वयं संवरना होगा
अब मत रहना अनजान
नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
13-04-2013
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