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पिकहा बाबा उवाच —भजन

kushwaha
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तेरी किरपा जिसपे माता दौड़ा दौड़ा आये

चरण रज माथे लगा जीवन सफल बनाये
तू दयालू रक्षा करती दारिद्र दुःख सारे हरती
तू जगदम्बा तू भवानी राह तके मूढ़ अज्ञानी
दे दरस कर दे किरपा रूप तेरा मन लुभाए
तेरी किरपा जिसपे माता दौड़ा दौड़ा आये
चरण रज माथे लगा जीवन सफल बनाये
छोटा जीवन देवी मेरा करता रहा तेरा मेरा
कंटक पथ घना अँधेरा जाने कब होगा  सवेरा 
दे दरस मिटे अँधेरा वन्दना तेरी मन लुभाए
तेरी किरपा जिसपे माता दौड़ा दौड़ा आये

चरण रज माथे लगा जीवन सफल बनाये
कट रहा था जीवन मेरा  किस अनजानी चाह में
संगी मिले साथी मिले छूटे न जाने कब राह में
जागी  तुझसे आशा किरणे बैठा मग दीप जलाये
तेरी किरपा जिसपे माता दौड़ा दौड़ा आये

चरण रज माथे लगा जीवन सफल बनाये

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