kushwaha
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गुरु गोविन्द द्वारे खड़े सबके लागों पायं
स्वागत प्रभु आप का ई लेओं भांग लगाये.
बूढ़ा तोता बोले राम राम भंग पी अब बौराया है
बीत गया मधुर मास खेलो होली फागुन आया है.
भांग नशा नहीं औषधि है प्रयोग बड़ा है गुणकारी
पहले इसको अन्दर कर लो फिर खेलो पिचकारी
दे तरंग , भरे उमंग , महिमा इसकी न्यारी
जो करता सेवन प्रतिदिन मारे वो किलकारी
रीता था जीवन मेरा अब सब कुछ पास है
भोले की किरपा बरसे बस ये ही अरदास है
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