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दुनिया बड़ी रंग रंगीली बाबा

kushwaha
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दुनिया बड़ी रंग रंगीली बाबा

इसके  किस्से सुनता हूँ

उगता सूरज ले अरुणायी

चांदनी में ताने बुनता हूँ

नीचे काली भूरी मिटटी

गिलहरी पेड़ जा छुपती

घास हरी अम्बर नीला

लाल गुलाब गेंदा पीला

बाला की धानी चुनरिया

सांवरे हमरे कृष्ण कन्हैया

मन ही  मन बलैयां लेता हूँ

दुनिया बड़ी रंग रंगीली बाबा

इसके  किस्से सुनता हूँ

रिश्तों के भी रंग अनोखे

पग पग मिलते अब धोखे

माँ   करती जिसका इंतजार

अपना खून दिखाता उसे द्वार

भाई बहन चाचा और नाना

रिश्ते को रिश्ता ना माना

देख दशा अपना सर धुनता हूँ

दुनिया बड़ी रंग रंगीली बाबा

इसके  किस्से सुनता हूँ

इन्द्र धनुष की छटा निराली

धरा पे छायी घनी  हरियाली

गरजे मेघ घटा घनघोर

मोर  पपीहा मचावत शोर

अमराई में कोयल कूके

प्रियतमा हिया  है हूके

तन्हाई में मन ही मन घुनता हूँ

दुनिया बड़ी रंग रंगीली बाबा

इसके  किस्से सुनता हूँ

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