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न जाने क्यों

kushwaha
kushwaha
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जलते नहीं पुरुष

जलती हैं लड़कियां
देती जनम माँ
गोद पलती लड़कियां
गूंजती  किलकारी अंगन
कली सी खिलती लड़कियां
माँ बाप की दुलारी सदा
मन लुभाती लड़कियां
माँ का स्नेह बाप का दुलार
अनोखा संसार पाती लड़कियां
जन्मति जिस घर वहां
श्री लुटाती लड़कियां
बाबुल घर छोड़
पिया घर जाती लड़कियां
बचपन की यादें छोड़
नयी दुनिया बसाती लड़कियां
बनती जब सास
शासन चलाती लड़कियां
सास  बहू एक रूप
भेद दिखाती  लड़कियां
अपनी लड़की लक्ष्मी
दूजी परायी क्यों लड़कियां
दहेज दानव मिट रहा
क्यूँ जलाते हो लड़कियां
कोख कोख का भेद है
अलग कहाँ से लड़कियां
निज मान आन  तज
ससुराल बसाती लड़कियां
अपनी नहीं जलाते
दूजे की जलाते लड़कियां
बेटी कहीं बहन कहीं
माँ रूप होती लड़कियां
चाहत एक  समान
स्नेह लुटाती लड़कियां
खुशी  हो या गम
साथ निभाती लड़कियां
प्रेम दया सहिष्णुता मूर्ति
सजा पाती क्यों लड़कियां
घ्रणा देवी रूप  से
नव रात्रि में  ढूदते लड़कियां

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