Menu
blogid : 7694 postid : 328

मूँछ

kushwaha
kushwaha
  • 162 Posts
  • 3241 Comments

मूँछ

——–

मूँछ की भी अजब कहानी

खिले आनन् दिखे  जवानी

कद लम्बा और चौड़ा सीना

पहने उस पर कुरता झीना

चलता  राह रोबीली चाल

काला टीका औ उन्नत भाल

कभी तलवार कभी मक्खी कट

छोटी बड़ी कभी सफा चट

बगैर मूँछ  लगता चेहरा   खुश्क

देख मूँछ खिल उठे  मन  कमल  पुष्प

नन्हे हाथों पकड़ जब  नाती खींचे

होए दर्द नाना हँसे तब दांत भींचे

मुस्कराता बालक बहु मंद मंद

जीवन का सच्चा मिलता  आनंद

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

२४-१२-२०१२

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply