kushwaha
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चला चला साथी अपने देसवा की ओर
जहँवा पहले सूरजवा उगेला
तारन संग चन्दा टहलेला
चकोर तकेला ओही ओर
चला चला साथी अपने देसवा की ओर
बालापन के संगी साथी रहिले
किस्सा कहानी मिल संग बुझइले
बीते रात कबे हो जाएल भोर
चला चला साथी अपने देसवा की ओर
छूट गईले मोरे नैहरवा
जाई बसल अपने पीहरवा
ना छूटल प्रेमवा की डोर
चला चला साथी अपने देसवा की ओर
–प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
२४-१-२०१३
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