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बलात

kushwaha
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बलात

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दुशासन

फिर मौन भला क्यों  प्रशासन

आपस में आलिंगन बद्ध

करे किस  का इन्तजार

बलात्कार बलात्कार बलात्कार

था जिन  पे हमें  नाज

आसमान लाल क्यों आज

उड़ रहे अनगिनत बाज

पंछी  ले कैसे परवाज

बताओ हमें इन्तजार

बलात्कार बलात्कार बलात्कार

नन्ही  कोमल सी कली

नाज लाड़ पली बढ़ी

नाग ने डस लिया

फंद में जकड़ लिया

सुनाई पडी न चीत्कार

बलात्कार बलात्कार बलात्कार

जल उठी हवस आग

बिखर गए सारे राग

अश्रु नयन सूख गए

बुझ गए जले दिए

बता कहाँ करे गुहार

बलात्कार बलात्कार बलात्कार

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

२२-१२-२०१२

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