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पिकहा बाबा —-प्रेस वार्ता

kushwaha
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पिकहा बाबा —-प्रेस वार्ता

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हे नाती बाबू एहर सुना देखा अंतरजाल आश्रम पर काफी भीड़ इकट्ठी होएला. का  माजरा  बा ?
सुना नाना जी कौनो चिंता न किये . ई सब चारों स्तंभ के लोग इकठ्ठा कियेला . आज तोहरा प्रेस वार्ता का आयोजन बा .
देखा नाती हमका चरका न देवा . २ महीना हो गईला हमरे अवतार का रोजे रोज दांव होएला. कौनो हमरे पास न आवेला. न जाने सब कहाँ बिजी बा . बड़ा मनेजमेंट गुरु बनेला. इतना मा तो हम पूरे  देश की सरकार कई बार बदलवा देते.
नाना ज्यादा शेखी ठीक न बा . ३ स्तंभ तो एश कर रहे हैं. चौथे स्तंभ को बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है . बहुत व्यस्त हैं. धरा  -६६ की घुट्टी से घबराए हैं.
क्या बात करते हो नाती, ये काहे घबरावत हैं. ये तो महामुनी नारद के वंशज हैं. कवि की कल्पना से तेज हैं. बेड रूम तक इनकी पहुँच है. नारद जी को तो कभी अपमान नही सहना पड़ा. क्या ये अपनी मर्यादाएं लांघ रहे हैं.
अच्छा नाना चुप रहो, बड़ी मुश्किल से इकठ्ठा किया है. बिदक गए तो ऐसे ही  तड़पोगे. कई बार इनके आयोजन पर की गयी सारी व्यवस्था बेकार चली गयी है. वैसे भी  बाबाओं के इतने चर्चे हो गए हैं कि ये उनकी कवरेज से डरते हैं. कहीं बाबा अपने कोमल हाथ से चित्र लेने वाले के गाल  पर अपने हाथ का चिन्ह न छाप  दे .
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उपस्थित चारों स्तंभ के महानुभावों , आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं स्वागत है. ये प्रेस वार्ता मेरे द्वारा  आयोजित है . वार्ता सामग्री आपको दी जा चुकी है .प्रश्न उसी के अनुसार होने चाहिए. मैने बहुत प्रयास किया की आपको कष्ट न दूं. अपने कई चॅनल खोल लूं. पर बहुत महंगे पड़ रहे थे. आशा है कि  आप मेरी बात समझ गए होंगे..
पत्रकार—
आप बाबा हैं और आपका ये रूप, बिलकुल साधारण. कोई विशिष्ट विन्यास नही?
बाबा ….
वस्त्र विन्यास , केश विन्यास ? इस विशिष्टता की  मुझे क्या आवश्यकता . देश में विशिष्ट जनों कि कमी है क्या. हर क्षेत्र में भरे पड़े हैं . सामान्य वस्त्र , सामान्य रूप एक आम आदमी जैसा . उन्ही के बीच का. आवश्यकता पड़ने पर उन्ही के बीच खप जाऊं . वस्त्र बदल के रूप न बदलना  पड़े .
मैं आम आदमी हूँ , आपका हूँ.
पत्रकार …..
बाबा आपने अपना आश्रम अंतरजाल पर क्यों बनाया है ? क्या धरती पर आपको जमीन  नहीं मिली ?
बाबा ….
सबसे सुरक्षित स्थान है. पलक झपकते ही सब से संवाद की सुविधा. नीचे  बड़ी हाय तौबा मची है. जमीन  घोटाला, संम्पत्ति घोटाला न जाने क्या क्या.
पत्रकार ….
पर बाबा इस समय तो अंतरजाल पर ही सबसे बड़ा खतरा है. वो धारा ६६- घुट्टी.
बाबा ..
बात तो सही कह रहे हैं आप पर ये बनी तो ठीक है पर इसका दुरुपयोग ठीक नहीं है.
पत्रकार …
धरती पर आप कैसे कार्य करेंगे जब कि आप अन्त्योदय के लिए अवतार लिए हैं.
बाबा …
धरती पर मैं पद यात्रा करूँगा. गांव – गांव जाऊँगा. जो सम्पन्न लोग हैं उनके पास जा कर निवेदन करूँगा कि आप जो कर रहे हैं उससे मेरा कोई मतलब नहीं . बस आप इन गरीबों का ध्यान कीजिये. इनका हक न मारा जाये. निश्चित ही  वे मेरे निवेदन को मान देंगें.
पत्रकार …
देश की वर्तमान राजनीति के बारे में क्या कहना है ?
बाबा ……
मेरी कथनी करनी में अंतर नहीं पायेंगे . पूरा एजेंडा आपको दिया है. जब समाज के लोग वास्तविक रूप से शिक्षित होंगे. उनके पेट भरे होंगे. तभी वे राष्ट्र के बारे में नैतिक जिम्मेदारी हेतु सजग हो पायेंगे. अभी तो कांच के टुकड़ों की तरह धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्रवाद में जकड़े हुए हैं. खुद भी घायल और इनको छूने वाला भी घायल. राजनीति जिनका काम है वो करे. न अंदर से न बाहर से समर्थन या विरोध. गुड खाए और गुलगुलों से परहेज.
पत्रकार …
बाबा जी आपके उद्देश्य की पूर्ती हो, जल्दी ही आपसे भेंट होगी.

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