हे माँ
हे माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
चरणों में तेरे सुख मिलता
था बालक बड़ा नादान … माँ
था बालक बड़ा नादान … माँ
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मूढ़ मति महा अभिमानी
महिमा तेरी नाही जानी
करती भक्तों का बेडा पार
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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भटक रहा था जब मैं दर दर
संगी साथी न कोई घर वर
जा पहुँचा जब तेरे द्वारे
तूने किया मेरा कल्याण..माँ
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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कोई अच्छा करम न ठाना
था मैं पापी धरम न माना
तेरी महिमा मरम न जाना
उजाड़े लोगों के घर बार
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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जब से तेरी शरण आया
एक अनोखा जीवन पाया
भूल गया सब अपना पराया
करने लग गया सबसे प्यार
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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था जीवन में घना अँधेरा
राह न सूझे कब हो सवेरा
ज्ञान दीप की ज्योति जलाकर
किया तूने बड़ा उपकार माँ
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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जब से तूने ज्ञान दिया है
लोगों ने सम्मान किया है
है ये विनती माता तुमसे
कर दो सबका का उद्धार
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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न अब माँ यहाँ कोई सुखी है
कष्ट ही कष्ट सब ही दुखी हैं
नारी लुटती बीच सड़क पे
बच्चे मरते बिलख बिलख के
कर दो दुष्टन का संहार ..माँ
था बालक बड़ा नादान … माँ
चरणों में तेरे सुख मिलता
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