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बाल श्रम – कथनी और करनी

kushwaha
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निवेदिता. सुविख्यात समाज सेविका.  कितने ही प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पद-धारिका. सुबह से देर रात तक अनगिनत आयोजनों में शिरकत. अनेक कार्यक्रमों के उद्घाटन. गोष्ठियाँ-गोष्ठियाँ.  भाषण-भाषण-भाषण.  सामाजिक कुरीतियों पर तीखा प्रहार करते बोल.

आज भी बाल श्रम पर कई-कई कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त थकी-हारी घर लौटी थी. पर्स और फाइल को बेतरतीब मेज पर फेंकते हुए निढाल कुर्सी पर पसर गयी.  झबरे बालों वाला प्यारा पप्पी तपाक से गोद में कूद आता है.

“रमिया ! पहले एक ग्लास पानी… फिर चाय.  और पप्पी को टहलाया था आऽऽज ?

दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिये सामने चुपचाप खड़ी होजाती है. सिर झुकाये,  “आज पप्पी को टहला नहीं पायी..”

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