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नाना नाती उवाच (नन्ही दुनिया)

kushwaha
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नाती बोला नाना  जी

आज काहे उदास हो

नाही नाती अस कौनो बात नहीं

मन व्यथित है ब्लोगिंग अब रास नहीं

जब से बने हो ब्लागर नाना

सारी दुनिया ने तुमको जाना

नहीं पड़ते धरती पर पग

ऐसे हो जैसे  अंगूठी  में नग

पड़े हो काहे दुबके दुबके

सुबक रहे हो चुपके चुपके

लेखनी काहे बंद तुम्हारी

ब्लॉग पे जाने की नहीं तैयारी

का करें बचुआ असमंजस मा हूँ

सोच  रहा  हूँ अब किस  पर लिखूं

ब्लागर लिखते राज, मंच गाथा

बच्चे क्या जाने क्यों फोड़ें माथा

सबसे अलग है उनकी दुनिया न्यारी

नन्ही दुनिया  नन्ही दुनिया प्यारी

सोचा था कि उन्हें हंसाऊं

प्यारी सी कविता सुनाऊं

थोडा मनोरंजन थोड़ी शिक्षा

पढ़कर जाग्रत होगी इच्छा

तुम  भी सितारा बन  जाओ

धर पैर काल  के सर चमको

ध्रुव  तारा बन जाओ

नन्ही दुनिया के लिए लिखी थी कविता

तुम भी हँसे  थे  हंसी थी बबिता

डब्बू के गाल  हिले थे

तोता मैना गले लगे थे

बड़े हीरो की फ्लॉप फिल्म सी

जे जे फीचर्ड ब्लॉग न छापी

२०११ आफ हुआ २०१२ फ्लॉप हुआ

दुनिया में नर नारी का ज़माना

बच्चों को अपनी किस्मत माना

देखा ध्यान से तब यह जाना

जे जे में न बच्चों का खाना

नाती बोला क्यों अब नाना

कविता कहानी पढ़ने

कहीं और पड़ेगा जाना

बच्चन के लिए का

अब लिखियो नाही

तुमसा लेखक

और न जग माहीं

नाहीं बचुआ अस कुछ बात नहीं

टूटा दिल पर विश्वास नहीं

एक से एक लेखक जग में

भाव रस के अधिकारी

जानत हो नया हूँ इसमें

कथा कला से

भरी पड़ी फुलवारी

आत्म सुख हेतु करता हूँ सृजन

फिरता हूँ बन बंजारा

बगैर राग द्वेष का अपना जीवन

प्रत्येक को करता हूँ नमन

आजादी का मतलब

आ रही है पहली कहानी

ध्यान से सुनना

मन से गुनना

सुनाएंगी तुम्हारी नानी

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